Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 377
________________ ३६० श्री स्थानांग सूत्र 00000000000 इन्द्र होता है। इस प्रकार बारह देवलोकों के दस इन्द्र होते हैं। इन देवलोकों में छोटे बड़े का कल्प (व्यवहार) होता है और इनके इन्द्र भी होते हैं। इसलिए ये देवलोक कल्पोपपन्न कहलाते हैं। दस विमान - बारह देवलोकों के दस इन्द्र होते हैं। यह पहले बताया जा चुका है। इन दस इन्द्रों के दस यान विमान होते हैं। जब इन्द्र तीर्थङ्कर भगवन्तों के जन्म कल्याणक आदि में मनुष्य लोक में आते हैं तब इन विमानों की रचना की जाती है इसलिये इनको यान विमान (यात्रा करने के काम में आने वाले विमान) कहते हैं। १. प्रथम सुधर्म देवलोक के इन्द्र (शक्रेन्द्र) का पालक नामक यान विमान है। २. दूसरे ईशान देवलोक के इन्द्र (ईशानेन्द्र) का पुष्पक नामक यान विमान है ३. तीसरे सनत्कुमार देवलोक के इन्द्र का सौमनस नामक यान विमान है। ४. चौथे माहेन्द्र देवलोक के इन्द्र का श्रीवत्सनामक यान विमान है। ५. पाँचवें ब्रह्मलोक देवलोक के इन्द्र का नन्दिकावर्त्त नामक यान विमान है। ६. छठे लान्तक देवलोक के इन्द्र का कामकम नामक यान विमान है। ७. सातवें शुक्र देवलोक के इन्द्र का प्रीतिगम नामक यान विमान है। ८. आठवें सहस्रार देवलोक के इन्द्र का मनोरम नामक यान विमान है। ९. नववें आणत और दसवें प्राणत देवलोक का एक ही इन्द्र है और उस का विमलवर नामक यान विमान है। १०. ग्यारहवें आरण और बारहवें अच्युत देवलोक का एक ही इन्द्र है। उसका सर्वतोभद्र नामक यान विमान है। ये विमान नगर के आकार वाले होते हैं। ये शाश्वत नहीं है। भिक्षु प्रतिमा, संसारी जीव, सर्वजीव दस दसमिया णं भिक्खुपडिमा णं एगेणं राइंदियसएणं अद्धछट्ठेहिं य भिक्खासएहिं अहासत्ता जाव आराहिया वि भवइ । दसविहा संसार समावण्णगा जीवा पण्णत्ता तंजहा - पढमसमय एगिंदिया अपढमसमय एगिंदिया एवं जाव अपढमसमयपचिंदिया । दसविहा सव्वजीवा पण्णत्ता तंजहा - पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव पंचिंदिया, अणिंदिया। अहवा दसविहा सव्वजीवा पण्णत्ता तंजहा - पढमसमय णेरड्या अपढमसमय णेरड्या जाव अपढमेसमय देवा पढमसमय सिद्धा अपढमसमय सिद्धा । दस दशाएँ वाससयाउस्स णं पुरिसस्स दस दसाओ पण्णत्ताओ तंजहा - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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