Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 379
________________ ३६२ श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 अपने जीवन के प्रति भी उदासीन हो जाता है और निरन्तर मृत्यु की आकांक्षा करता रहता है तथा १०. स्वापिनी या शायनी - इस दसवीं अवस्था के प्राप्त होने पर पुरुष अधिक निद्रालु बन जाता है। . उसकी आवाज हीन दीन और विकृत हो जाती है। इस अवस्था में पुरुष अति दुर्बल और अति दुःखित हो जाता है । यह पुरुष की अन्तिम अवस्था है। सौ वर्ष की आयु मान कर ये दस अवस्थाएं बतलाई गई हैं। दस दस वर्ष की एक एक अवस्था मानी गई है। इससे अधिक आयु वाले पुरुषों के भी उनकी आयु के परिमाण के दस विभागानुसार दस अवस्थाएं ही होती हैं। तृणवनस्पतिकाय, विद्याधर श्रेणियाँ दसविहा तणवणस्सइकाइया पण्णत्ता तंजहा - मूले, कंदे जाव पुप्फे, फले, बीए। सव्वाओ वि णं विज्जाहरसेढीओ दस दस जोयणाइं विक्खंभेणं पण्णत्ता । सव्वाओ वि अभिओगसेढीओ दस दस जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता । गेविज्जगविमाणा णं दसजोयण सयाइं उई उच्चत्तेणं पण्णत्ता । तेज सहित भस्म करने की शक्ति दसहि ठाणेहिं सह तेयसा भासं कुज्जा तंजहा- केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएग्जा, से य अच्वासाइए समाणे परिकुविए, तस्स तेयं णिसिरेग्जा, से तं परितावेइ, से तं परितावित्ता तमेव सह तेयसा भासं कुज्जा । केइ तहालवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएज्जा, से य अच्चासाइए समाणे देवे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेग्जा से तं परितावेइ, से तं परितावित्ता तमेव सह तेयसा भासं कुजजा । केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएज्जा, से य अच्चासाइए समाणे परिकुविए देवे य परिकुविए दुहओ पडिण्णा तस्स तेयं णिसिरिज्जा ते तं परिताविंति, ते तं परितावित्ता तमेव सह तेयसा भासं कुज्जा । केइ तहालवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएज्जा, से य अच्चासाइए समाणे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेग्जा, तत्थ . फोडा सम्मुच्छंति ते फोडा भिजंति, ते फोडा भिण्णा समाणा तमेव सह तेयसा भासं कुज्जा । केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएज्जा, से य अच्चासाइए समाणे देवे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरिज्जा, तत्थ फोडा सम्मुच्छंति, ते फोडा भिजति, ते फोडा भिण्णा समाणा तमेव सह तेयसा भासं कुग्जा । केइ तहासवं समणं वा माहणं वा अच्चासाएग्जा, से य अच्चासाइए समाणे परिकुविए देवे वि य परिकुविए ते दुहओ पडिण्णा ते तस्स तेयं णिसिरेग्जा, तत्थ फोडा सम्मुच्छंति सेसं तहेव जाव भासं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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