Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
विवेचन - सूत्र की वाचना देने के पाँच बोल यानी गुरु महाराज पाँच बोलों से शिष्य को सूत्र सिखावे -
१. शिष्यों को शास्त्र-ज्ञान का ग्रहण हो और इनके श्रुत का संग्रह हो, इस प्रयोजन से शिष्यों को वाचना देवे।
२. उपग्रह के लिये शिष्यों को वाचना देवे। इस प्रकार शास्त्र सिखाये हुए शिष्य आहार, पानी, वस्त्रादि शुद्ध गवेषणा द्वारा प्राप्त कर सकेंगे और संयम में सहायक होंगे।
३. सूत्रों की वाचना देने से मेरे कर्मों की निर्जरा होगी यह विचार कर वाचना देवे। ४. यह सोच कर वाचना देवे कि वाचना देने से मेरा शास्त्र ज्ञान स्पष्ट हो जायगा। ५. शास्त्र का व्यवच्छेद न हो और शास्त्र की परम्परा चलती रहे इस प्रयोजन से वाचना देवे। सूत्र सीखने के पाँच स्थान - १. तत्त्वों के ज्ञान के लिये सूत्र सीखे। २. तत्त्वों पर श्रद्धा करने के लिये सूत्र सीखे। ३. चारित्र के लिये सूत्र सीखे। ४. मिथ्याभिनिवेश छोड़ने के लिये अथवा दूसरे से छुड़वाने के लिये सूत्र सीखे। ५. सूत्र सीखने से मुझे यथावस्थित द्रव्य एवं पर्यायों का ज्ञान होगा इस विचार से सूत्र सीखे।
देव विमान, कर्म बंध सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंच वण्णा पण्णत्ता तंजहा - किण्हा जाव सुक्किल्ला। सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंच जोयगसयाई उड्डूं उच्चत्तेणं पण्णत्ता। बंभलोयलंतएस णं देवाणं भवधारणिज्ज सरीरगा उक्कोसेणं पंच रयणी उड्डे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। णेरइया णं पंचवण्णे पंचरसे पोग्गले बंधिंसु वा बंधंति वा बंधिस्संति वा तंजहा - किण्हे जाव सुक्किल्ले तित्ते जाव महुरे । एवं जाव वेमाणिया॥४०॥
कठिन शब्दार्थ - भवधारणिज सरीरगा - भवधारणीय शरीर की, पंच रयणी - पांच हाथ की।
भावार्थ - सौधर्म और ईशान कल्प में यानी पहले और दूसरे देवलोक में विमान पांच वर्ण वाले कहे गये हैं । यथा - काले, नीले, लाल, पीले और सफेद । सौधर्म और ईशान देवलोक में विमान पांच सौ योजन के ऊंचे कहे गये हैं । ब्रह्मलोक और लान्तक यानी पांचवें और छठे देवलोक में देवों की भवधारणीय शरीर की अवगाहना यानी ऊंचाई उत्कृष्ट पांच हाथ की कही गई है । नैरयिकों से लेकर वैमानिक तक चौबीस ही दण्डक के जीवों ने काले, नीले, लाल पीले और सफेद इन पांच वर्षों के
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