Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ५ उद्देशक ३
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१. वाचना - शिष्य को सूत्र अर्थ का पढ़ाना वाचना है।
२. पृच्छना - वाचना ग्रहण करके संशय होने पर पुनः पूछना पृच्छना है। या पहले सीखे हुए सूत्रादि ज्ञान में शंका होने पर प्रश्न करना पृच्छना है।
३. परिवर्तना - पढ़े हुए भूल न जाय इसलिये उन्हें फेरना परिवर्तना है। परिवर्तना शब्द के स्थान पर कहीं पर "परावर्तना" शब्द भी पाया जाता है।
४. अनुप्रेक्षा - सीखे हुए सूत्र के अर्थ का विस्मरण न हो जाय इसलिये उसका बार बार मनन करना अनुप्रेक्षा है।
५. धर्मकथा - उपरोक्त चारों प्रकार से शास्त्र का अभ्यास करने पर भव्य जीवों को शास्त्रों का व्याख्यान सुनाना धर्म कथा है। .
श्रद्धान शुद्ध आदि उपरोक्त पांच के सिवाय ज्ञान शुद्ध प्रत्याख्यान छठा भेद गिना गया है किन्तु ज्ञान शुद्ध का समावेश श्रद्धानशुद्ध में हो जाता है क्योंकि श्रद्धान भी ज्ञान विशेष ही है । ज्ञान शुद्ध का स्वरूप यह है - जिनकल्प आदि में मूलगुण, उत्तर गुण विषयक जो प्रत्याख्यान जिस काल में करना चाहिए उसे जानना ज्ञान शुद्ध है।
वाचना देने और सूत्र सीखने के बोल पंचहि ठाणेहि सुत्तं वाएजा तंजहा - संग्गहट्ठयाए, उवग्गहणट्ठयाए, णिजरणट्ठयाए, सुत्ते वा मे पजवयाए भविस्सइ, सुत्तस्स वा अवोच्छित्तिणयट्ठयाए । पंचहिं ठाणेहिं सुत्तं सिक्खिज्जा तंजहा - णाणद्वयाए, दंसणट्ठयाए, चरित्तट्टयाए, बुग्गहविमोयणट्ठयाए, अहत्येवा भावे जाणिस्सामि त्तिकट्ट॥३९॥ .. - भावार्थ - पांच कारणों से सूत्र की वाचना देवें यानी गुरु महाराज शिष्य को सूत्र सिखावें यथा - शिष्यों को शास्त्र ज्ञान का ग्रहण हो और उनके श्रुत का संग्रह हो, इस प्रयोजन से शिष्यों को वाचना देवे । उपग्रह के लिए यानी शास्त्र सिखाये हुए शिष्य आहार, पानी, वस्त्र आदि शुद्ध एषणा द्वारा प्राप्त कर सकेंगे और संयम में सहायक हो सकेंगे । निर्जरा के लिए यानी सूत्रों की वाचना देने से मेरे कर्मों की निर्जरा होगी ऐसा विचार कर वाचना देवे । यह समझ कर वाचना देवे कि वाचना देने से मेरा शास्त्रज्ञान स्पष्ट हो जायगा । और शास्त्र का व्यवच्छेद न हो और शास्त्र की परम्परा चलती रहे इस प्रयोजन से वाचना देवे । पांच कारणों से शिष्य सूत्र सीखे-यथारात्त्वों के ज्ञान के लिए सूत्र सीखे । तत्त्वों पर श्रद्धा करने के लिए सूत्र सीखे । चारित्र के लिए सूत्र सीखे । मिथ्याभिनिवेश छोड़ने के लिए अथवा दूसरे से छुड़वाने के लिए सूत्र सीखे और 'सूत्र सीखने से मैं यथावस्थित द्रव्य और पर्यायों को जान सकूँगा' इस विचार से सूत्र सीखे ।
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