Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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. स्थान ७ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 णंदुत्तरे रहाणियाहिवई रई णट्ठाणियाहिवई माणसे गंधव्वाणियाहिवई । एवं जाव घोसमहाघोसाणं णेयव्वं । ___ सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई जाव माढरे रहाणियाहिवई। सेए णट्टाणियाहिवई तुंबरु गंधव्वाणियाहिवई ।ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए। लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई जाव महासेए णट्टाणियाहिवई रए गंधव्याणियाहिवई सेसं जहा पंचठाणे एवं जाव अच्चुयस्स वि णेयव्वं ॥७७॥
कठिन शब्दार्थ - पायत्ताणिए - पदाति अनीक, णट्टाणिए - नाटयानीक, गंधव्याणिए - गन्धर्वानीक ।
भावार्थ - असुरकुमारों के राजा असुरकुमारों के इन्द्र चमरेन्द्र के सात अनीक और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदातिअनीक, पीठानीक, कुञ्जरानीक, महिषानीक, रथानीक, नाटयानीक, गन्धर्वानीक । पदात्यनीक का अधिपति द्रुम है । पीठानीक का अधिपति सोदामी है । कुञ्जरानीक का अधिपति कुंथु है । महिषानीक का अधिपति लोहिताक्ष है । रथानीक का अधिपति किन्नर है । नाटयानीक का अधिपति रिष्ट है । गन्धर्वानीक का अधिपति गीतरति है । वैरोचन राजा वैरोचनेन्द्र बलीन्द्र के सात अनीक और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदाति अनीक यावत् गन्धर्वानीक । पदाति अनीक का अधिपति महाद्रुम है । यावत् रथानीक का अधिपति किंपुरुष है । नाट्यानीक का अधिपति महारिष्ट है और गन्धर्वानीक का अधिपति गीतयश है । नागकुमारों के राजा नागकुमारों के इन्द्र धरणेन्द्र के सात अनीक (सेना) और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदाति अनीक यावत् गन्धर्वानीक। पदाति अनीक का अधिपति रुद्रसेन है यावत् रथानीक का अधिपति आनन्द है । नाटयानीक का अधिपति नन्दन है । गन्धर्वानीक का अधिपति तेतली है । भूतानन्द के सात अनीक
और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदाति अनीक यावत् गन्धर्वानीक । पदाति अनीक का अधिपति दक्ष है यावत् रथानीक का अधिपति नन्दोत्तर है । नाटयानीक का अधिपति रती है और गन्धर्वानीक का अधिपति मानस है । इस प्रकार घोष महाघोष तक सब के सात सात अनीक और सात सात अनीकाधिपति जान लेने चाहिये।
देवों के राजा देवों के इन्द्र शक्रेन्द्र के सात अनीक और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदाति अनीक यावत् गन्धर्वानीक । पदाति अनीक का अधिपति हरिणेगमेषी है यावत् रथानीक का अधिपति माढर है. । नाटयानीक का अधिपति श्वेत है । गन्धर्वानीक का अधिपति तुंबरु है। देवों के राजा
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