Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 319
________________ ३०२ श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 . इन में से आठ की व्याख्या तो इसी भाग के आठवें स्थानक में दे दी गई है। . ९. गणित सूक्ष्म - गणित यानि संख्या की जोड़ (संकलन) आदि को गणित सूक्ष्म कहते हैं, क्योंकि इसका ज्ञान भी सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ही होता है। १०. भङ्ग सूक्ष्म - वस्तु विकल्प को भङ्ग कहते हैं। यह भङ्ग दो प्रकार का है। स्थान भङ्ग और क्रम भङ्ग । जैसे हिंसा के विषय में स्थान भङ्ग कल्पना इस प्रकार है - (क) द्रव्य से हिंसा, भाव से नहीं। . (ख) भाव से हिंसा, द्रव्य से नहीं। (ग) द्रव्य और भाव दोनों से हिंसा। (घ) द्रव्य और भाव दोनों से हिंसा नहीं। हिंसा के ही विषय में क्रम भङ्ग कल्पना इस प्रकार है - (क) द्रव्य और भाव से हिंसा। (ख) द्रव्य से हिंसा, भाव से नहीं। (ग) भाव से हिंसा, द्रव्य से नहीं। (घ) न द्रव्य से हिंसा, न भाव से हिंसा। यह भङ्ग सूक्ष्म कहलाता है क्योंकि इसमें विकल्प विशेष होने के कारण इसके गहन (गूढ) भाव सूक्ष्म बुद्धि से ही जाने जा सकते हैं। दीक्षा लेने वाले दस चक्रवर्ती राजा - दस चक्रवर्ती राजाओं ने दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण किया। उनके नाम पर प्रकार हैं - १. भरत २. सिंगर ३. मघवान् ४. सनत्कुमार ५. शान्तिनाथ ६. कुन्थुनाथ ७. अरनाथ ८. महापद्म ९. हरिषेण १०. जयसेन । ये दस ही चक्रवर्ती मोक्ष में गये हैं। दस दिशाएँ ___ जंबूहीवे दीवे मंदरे पव्वए दस जोयणसयाइं उव्वेहेणं धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसयाई विक्खंभेणं दसदसाइं जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पण्णत्ते ।जंबूहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमझदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु, एत्थ णं अट्ठ पएसिए रुयगे पण्णत्ते जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति तंजहा - पुरच्छिमा, पुरच्छिमदाहिणा, दाहिणा, दाहिणपच्चत्थिमा, पच्चत्थिमा, पच्चत्यिमुत्तरा, उत्तरा, उत्तरपुरच्छिमा, उड्डा, अहो । एएसि णं दसण्हं दिसाणं दस णामधिज्जा पण्णत्ता तंजहा - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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