Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ५ उद्देशक ३
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१२४
दिन का होता है । बारह ऋतुमास अर्थात् ३६० दिनों का एक ऋतु प्रमाण संवत्सर होता है । आदित्य प्रमाण संवत्सर - आदित्य यानी सूर्य १८३ दिन दक्षिणायन और १८३ दिन उत्तरायण में रहता है । दक्षिणायन और उत्तरायण के ३६६ दिनों का वर्ष आदित्य संवत्सर कहलाता है । अथवा - सूर्य के २८ नक्षत्र एवं बारह राशि के भोग का काल आदित्य संवत्सर कहलाता है । सूर्य ३६६ दिनों में उक्त नक्षत्र और राशियों का भोग करता है । आदित्य मास की औसत ३.१ दिन की है । अभिवर्द्धित प्रमाण संवत्सर - तेरह चन्द्रमास का संवत्सर, अभिवर्द्धित संवत्सर कहलाता है । चन्द्रसंवत्सर में एक मास अधिक पड़ने से यह संवत्सर अभिवर्द्धित संवत्सर कहलाता है । अथवा - ३११२९ दिनों का एक अभिवर्द्धित मास होता है । बारह अभिवर्द्धित मास का अर्थात् ३३ दिन का एक अभिवर्द्धित प्रमाण संवत्सर होता है । लक्षण संवत्सर - ये ही उपरोक्त नक्षत्र, चन्द्र, ऋतु, आदित्य और अभिवति संवत्सर लक्षण प्रधान होने पर लक्षण संवत्सर कहलाते हैं । वह लक्षण संवत्सर पांच प्रकार का कहा गया है । यथा - उनके लक्षण इस प्रकार हैं।
'जब नक्षत्रों का तिथियों के साथ ठीक योग जुड़ता है अर्थात् कुछ नक्षत्र स्वभाव से ही निश्चित तिथियों में हुआ करते हैं । जैसे - कार्तिक पूर्णमासी में कृतिका और मार्गशीर्ष में मृगशिरा एवं पौषी पूर्णिमा में पुष्य आदि । जब ये नक्षत्र ठीक अपनी तिथियों में हों और ऋतुएं भी ठीक समय पर आरम्भ हुई हों, न तो अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी हो और पानी अधिक हो, इन लक्षणों वाला संवत्सर नक्षत्र लक्षण संवत्सर कहलाता है॥१॥
जिस संवत्सर में पूर्णिमा की सारी रात चन्द्रमा से प्रकाशमान रहे और नक्षत्र विषमचारी हों । सर्दी और गर्मी दोनों की अधिकता हो तथा पानी की भी अधिकता हो, इन लक्षणों वाले संवत्सर को चन्द्र लक्षण संवत्सर कहते हैं॥२॥
जिस संवत्सर में वृक्ष असमय में अङ्कुरित हों और बिना ऋतु के फूल फल देवें तथा वर्षा ठीक समय पर न हो, इन लक्षणों वाले संवत्सर को कर्म संवत्सर या ऋतु संवत्सर अथवा सावन संवत्सर कहते हैं॥३॥ ... जिस संवत्सर में सूर्य पृथ्वी में माधुर्य और पानी में स्निग्यता आदि और फूल और फलों में उस उस प्रकार का रस देता है और थोड़ी वर्षा होने पर भी खूब धान्य पैदा हो जाता है, इन लक्षणों वाला संवत्सर आदित्य लक्षण संवत्सर कहलाता है॥४॥ .. जिस संवत्सर में क्षण, लव, दिवस और ऋतुएं सूर्य के तेज से तप्त होकर व्यतीत होती है तथा वायु से उड़ी हुई धूल से स्थल भर जाते हैं, इन लक्षणों वाले संवत्सर को अभिवति लक्षण संवत्सर कहते हैं । यह जानो।
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