Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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. स्थान ५ उद्देशक २ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 अणुपवेसिज्जा । इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव धरेज्जा । पंचहि ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि गब्भं णो धरेग्जा तंजहा - अपत्तजोवणा, अइकंतजोवणा, जाइवंझा, गेलण्णपुट्ठा, दोमणंसिया । इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव णो धरेज्जा । पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि णो गब्भं धरेज्जा तंजहा - णिच्चोउया, अणोउया, वावण्णसोया, वाविद्धसोया, अणंगपडिसेविणी । इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि गब्भं णो धरेज्जा । पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि णो गब्भं धरेज्जा तंजहा - उउम्मि णो णिगामपडिसेविणी यावि भवइ, समागया वा से सुक्कपोग्गला पडिविद्धंसंति, उदिण्णे वा से पित्तसोणिए, पुरा वा देवकम्मुणा, पुत्तफले वा णो णिदिटे भवइ । इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणी वि मब्भं णो धरेग्जा॥१७॥
कठिन शब्दार्थ - असंवसमाणी - संवास (संगम) न करती हुई, धरेजा - धारण कर सकती है, दुधियडा - वस्त्र रहित होकर, दुणिसण्णा - खराब आसन से बैठी हुई, सुक्कपोग्गलसंसिटेवीर्य के पुद्गलों से भरे हुए, अंतोजोणिए - योनि में, अणुपवेसिज्जा - प्रवेश करा दे, आयममाणीस्नान करती हुई, अपत्तजोवणा - अप्राप्त यौवना, अइकंतजोवणा - अतिक्रान्त यौवना, णिच्चोउया - नित्य ऋतुका, अणोउया - अनृतुका, वावण्णसोया - व्यापनस्रोता, वाविद्धसोया - व्याविद्ध स्रोता अणंगपडिसेविणी - अनंगक्रीडा काने वाली।
भावार्थ - पांच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास यानी संगम न करती हुई भी गर्भ धारण कर सकती है यथा - यदि कोई स्त्री वस्त्र रहित होकर अथवा फटे वस्त्र पहन कर खराब आसन से बैठी हुई हो और उस स्थान पर वीर्य के पुद्गल पड़े हुए हों उनको योनि द्वारा खींच लेवे तो गर्भ रह सकता है। अथवा वीर्य के पुद्गलों से भरे हुए वस्त्र को स्त्री की योनि में प्रवेश करा देवे और वह उन पुद्गलों को ग्रहण करे तो गर्भ रह सकता है अथवा पुत्र की अभिलाषा से वह स्त्री स्वयं वीर्य के पुद्गलों को अपनी योनि में प्रवेश करा देवे तो गर्भ रह सकता है अथवा दूसरी स्त्री उसकी योनि में वीर्य के पुद्गलों को प्रवेश करा देवे तो गर्भ रह सकता है । अथवा कोई स्त्री तालाब या बावड़ी आदि में ठण्डे जल से स्नान करती हो उस समय उस पानी में पहले स्नान किये हुए पुरुष के वीर्य के पुद्गल पड़े हुए हों वे पुद्गल उस स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाय तो गर्भ रह सकता है । इन पांच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संगम किये बिना भी गर्भ धारण कर सकती है । स्त्री पुरुष के साथ रहती हुई भी यानी संगम करने पर भी पांच कारणों से गर्भ धारण नहीं कर सकती है यथा - अप्राप्त यौवना यानी यौवन अवस्था को प्राप्त न हुई हो, अतिक्रान्तयौवना यानी जिसकी यौवन अवस्था व्यतीत हो चुकी हो, जाति वन्ध्या
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