Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री स्थानांग सूत्र
जाङ्गमिक यानी त्रस जीवों के रोम आदि से बने हुए - कम्बल आदि । भाङ्गिक यानी अलसी का बना हुआ । सानक यानी सण का बना हुआ । पोतक यानी कपास का बना हुआ (क्षौमिक) और तिरीडपट्ट यानी वृक्ष की छाल का बना हुआ कपड़ा । इन पांच प्रकार के वस्त्रों में से उत्सर्ग रूप से तो कपास
और ऊन के बने हुए सूती और ऊनी दो प्रकार के अल्प मूल्य वाले वस्त्र ही ग्रहण करना और पहनना कल्पता है। ___साधु और साध्वी को पांच प्रकार के रजोहरण ग्रहण करना और उन्हें काम में लेना कल्पता है यथा - और्णिक यानी ऊन का बना हुआ, औष्ट्रिक यानी ऊंट के रोम से बना हुआ, सानक यानी सण नामक घास का बना हुआ, बल्वज यानी नरम घास का बना हुआ और कूट कर नरम बनाई हुई मुंज का बना हुआ। इन पांच प्रकार के रजोहरणों में से उत्सर्ग रूप से सिर्फ एक ऊन का बना हुआ रजोहरण रखना ही कल्पता है।
विवेचन - निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को अर्थात् साधु साध्वियों को पांच प्रकार के वस्त्र ग्रहण करना और सेवन करना कल्पता है। वस्त्र के पाँच प्रकार ये हैं - १. जागमिक २. भाषिक ३. सानक ४. पोतक ५. तिरीडपट्ट।
१. जाङ्गमिक - त्रस जीवों के रोमादि से बने हुए वस्त्र जाङ्गमिक कहलाते हैं। जैसे - कम्बल वगैरह।
२. भाषिक - अलसी का बना हुआ वस्त्र भाङ्गिक कहलाता है। ३.सानक- सन का बना हुआ वस्त्र सानक कहलाता है। ४. पोतक - कपास का बना हुआ वस्त्र पोतक कहलाता है। इसको भौमिक वस्त्र भी कहते हैं।
५. तिरीडपट्ट- तिरीड़ वृक्ष की छाल का बना हुआ कपड़ा तिरीड़ पट्ट कहलाता है। ____ इन पाँच प्रकार के वस्त्रों में से उत्सर्ग रूप से तो कपास और ऊन के बने हुए दो प्रकार के अल्प मूल्य वाले वस्त्र ही साधु साध्वियों के ग्रहण करने योग्य हैं।
निधास्थान, निधि, शौच धम्मं चरमाणस्स पंच णिस्साठाणा पण्णता तंजहा - छक्काए, गणे, राया, गिहवई, सरीरं । पंच णिही पण्णता तंजहा - पुत्तणिही, मित्तणिही, सिप्पणिही, भणणिही, भण्णणिही । सोए पंचविहे पण्णते तंजहा - पुडविसोए, आउसोए, तेउसोए, मंतसोए, बंभसोए॥३३॥ .
कठिन शब्दार्थ - णिस्साठाणा - नित्रा स्थान-आलम्बन उपकारक, बकाए - छह काया, घरमाणस्स - सेवन करने वाले पुरुष के, गिहबई - गृहपति, णिही - निधि, सोए - शौच-शुद्धि, मंतसोए - मंत्र शौच, बंभसोए - ब्रह्मचर्य शौच ।
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