Book Title: Shatkhandagama Pustak 10
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३१] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[१, २, १, ७. सयलं कम्महिदि किण्ण हिंडाविदो ? ण, तसकाइएसु एइंदिएहितो असंखेज्जगुणजोगाउएसु संकिलेसबहुलेसु हिंडाविय तत्तो असंखेज्जगुणदव्वसंचयस्स तत्थेवावट्ठिदस्स अणुवलंभादो । जदि एवं तो तसकाइएसु चेव कम्मट्ठिदिं किण्ण हिंडाविदो ? ण, सादिरेयबेसागरोवमसहस्सं मोत्तूण तत्थ तीससागरोवमकोडाकोडिकालमवहाणामावादो । तसकाइएसु सगहिदिकालभंतरे उक्कस्सदव्वसंचयं काऊण पुणो बादरपुढवीकाइएसुप्पज्जिय तत्थ अंतोमुहुत्तमच्छिय पुणो तसहिदि भमिय एइंदिएसुप्पाइय एवं कम्मट्ठिदि किण्ण हिंडाविदो ? ण, तसहिदिं समाणिय एइंदिएसु पविट्ठस्स तसेसु संचिददव्वमगालिय णिग्गमाभावादा । एदं कुदो णव्वद १ तस
शंका- बादर पृथिवीकायिकोंमें सम्पूर्ण कर्मस्थिति प्रमाण काल तक क्यों नहीं घुमाया ?
समाधान-नहीं, क्योंकि एकेन्द्रियोंसे त्रसोंका योग और आयु असंख्यातगुणी होती है और वे संक्लेश बहुत होते हैं इसलिये पृथिवीकायिकोंमें घुमानेके पश्चात् प्रसोंमें घुमाया। यदि एकेन्द्रियोंमें ही रखते तो इनकी अपेक्षा त्रसोंमें जो असंख्यातगुणे द्रव्यका संचय होता है वह नहीं प्राप्त होता । यही कारण है कि सम्पूर्ण कर्मस्थिति प्रमाण काल तक एकेन्द्रियोंमें नहीं घुमाया है।
शंका-यदि ऐसा है तो प्रसकायिकोंमें ही कर्मस्थिति प्रमाण काल तक क्यों नहीं घुमाया ?
समाधान-नही, क्योंकि वहां कुछ अधिक दो हजार सागरोपम काल तक ही अवस्थान हो सकता है। पूरे तीस कोड़ाकोड़ि सागरोपम काल तक अवस्थान नहीं हो सकता।
शंका-प्रसकायिकों में अपनी स्थिति प्रमाण कालके भीतर उत्कृष्ट द्रव्यका संचय करके पुनः बादर पृथिवीकायिकोंमें उत्पन्न होकर वहां अन्तर्मुहूर्त रहकर फिर प्रसस्थिति काल तक त्रसोंमें भ्रमण करके एकेन्द्रियों में उत्पन्न कराते । इस तरह कर्मस्थिति प्रमाण काल तक क्यों नहीं घुमाया ?
. समाधान-नहीं, क्योंकि प्रसस्थितिको पूर्ण करके जो जीष एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते है उन प्रसोंमें सांचत हुए द्रव्यको विना गाले निकलना नहीं होता।
शंका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ?
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