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छडागमे वैयणाखंड
{ २, ४, १०७. विदियसमए ओकड्डिदूण पढमअपुव्वकिट्टीए अविभागपरिच्छेदा थोवा दिज्जंति । बिदियाए किट्टीए असंखज्जगुणा । तदियाए किट्टीए असंखेज्जगुणा । एवमसंखेज्जगुणाए सेडीए उवरि विणदव्वं जाव पुव्विल्लसमयकदचरिमकिट्टि त्ति । एवं कादव्वं जाव किट्टिकरणद्धाचरिमसमओ ति । पढमसमए जीवपदसाणमसंखेज्जदि भागमाकड्डिदूण जहणकिट्टीए जीवपदसा बहवा दिज्जति । बिदियाए किट्टीए विसेसहीणा असंखेज्जदिभागेण । एवं ताव विसेसद्दीणा जाव चरिमकिट्टित्ति' । चरिमकिट्टीदो अपुव्वफद्दयाणमादिवग्गणाए असंखेज्जगुणहीना दिज्जंति । तत्तो उवरि सव्वत्थ विसेसहीणी । एत्थ अंते मुहुत्तं किट्टीओ असंखेज्जगुणहीणाए सेडीए करेदि । जीवपदेसे असंखेज्जगुणाए सेडीए ओकट्टदि । किट्टिगुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागों । किट्टीओ पुण सेडीए असं
अपकर्षण करके प्रथम अपूर्वकृष्टिमै अविभागप्रतिच्छेद स्तोक दिये जाते हैं । द्वितीय कृष्टिमै असंख्यातगुणे दिये जाते हैं । तृतीय कृष्टिमें असंख्यातगुणे दिये जाते हैं । इस प्रकार ऊपर भी पूर्व समय में की गई अन्तिम कृष्टि तक असंख्यातगुणित श्रेणि रूपसे ले जाना चाहिये । इस प्रकार कृष्टिकरणकालके अन्तिम समय तक करना चाहिये । प्रथम समय में जीवप्रदेशोंके असंख्यातवें भागका अपकर्षण कर अधम्य कृष्टिमें जीवप्रदेश बहुत दिये जाते हैं । द्वितीय कृष्टिमें असंख्यातवें भाग रूप विशेषसे हीन दिये जाते हैं । इस प्रकार अन्तिम कृष्टि तक विशेष हीन दिये जाते हैं । अन्तिम कृष्टिसे अपूर्वस्पर्ध कौकी आदिम वर्गणा में असंख्यातगुणे हीन दिये जाते हैं । उसके ऊपर सर्वत्र विशेष हीन दिये जाते हैं। यहां अन्तर्मुहूर्त तक असंख्यातगुणित श्रेणि रूपसे कृष्टियोंको करता है । जीवप्रदेशका असंख्यातगुणित श्रेणि रूपले अपकर्षण करता है ।
कृष्टियोंका गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है । परन्तु हृष्टियां श्रेणिके असंख्यातवें भाग और अपूर्वस्पर्धकोंके भी असंख्यातवें भाग है । कृष्टि
१ जीवपदे साणमसंखेज्जदिभाग मोकड्डदि । पुण्यापुण्यफदए समवट्ठिदाणं लोगमत्राजीवपदेसाणं असंखेज्जदिमागमेच जीवपदे से क्रिट्टिकरणमोकहृदित्ति वृत्तं होद । xxx पढमसमय किट्टिकारगो पुव्वफद - एहिंतो अपुत्रद्दर्हितो पलिदोत्रमस्स असंखेज्जदिभागपडिभागेण जीववदेसे ओकड्डियूण पढमकिट्टीए बहुए जीवपदे से णिक्खिवदि । बिदियाए किडीए विसेसहीणे णिसिंचदि । को एत्थ पडिभागो ? सेडीए अखेज्जदिमागमेचो पिसेगभागहारो | एवं णिक्खियमाणो गच्छदि जाव चरिमकिट्टि ति । जयध. अ. प. १३४३.
२ पुणो चरिमकिट्टीदो अपुग्वद्दयादिवग्गणाए असंखेज्जगुणहीणं णिसिंचिदूण तत्तो विसेसहाणीए णिसिंचदि दिव्थं । जयध. अ. प. १२४३. ३ ध. अ. प. ११२५. एत्थ अंतोमुहुत्तं करेदि किड्डीओ असंखेन्जगुणाए (चू. सू. ) अ. प. १२४४. ४ ध. अ. प. ११२५. जीवपदेसाणमसंचे जगुणाए ५ जयध. ( खू. सू.) अ. प. १२४४.
[ गुणहीणाए ] सेडीए । जयध. सेडीए । जयध. अ. १. १२४४.
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