Book Title: Shatkhandagama Pustak 10
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 426
________________ ४, २, ४, १७३.] वेयणमहाहियारे वेयणदव्वविहाणे चूलिया [ ४०५ अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तदो तस्सेव जहण्णएगंताणुवड्ढिजोगस्से अविभागपरिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तस्सुवीर तस्सेव उक्कस्सएगंताणुवड्ढिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तस्सेव जहण्णपरिणामजोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा | तस्सुवरि तस्सेव उक्कस्स परिणाम जोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । एवं सेसाणं पि लद्धिअपज्जत्तजीवसमासाणं सत्थाणप्पाबहुगं भाणिदव्वं । सव्वत्थोवा सुहुमेईदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स जहण्ण उववाद जोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा । तस्सेव उक्कस्स उववाद जोगट्ठा णस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तदो तस्सेव जहण्णएगंताणुवड्ढिजेोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तदो' तस्सेव उक्कस एयंताणुव डिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । एवं सेसाणं छण्णं णिव्वत्तिअपज्जत्ताणं सत्थाणप्पाबहुगं भाणिदव्वं ! सव्वत्थोवा हुमेईदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णपरिणामजोगडाणस्स अविभागपडिच्छेदा । तस्सेव उक्कस्तपरिणाम जोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । एवं सेसाणं पिछण्णं णिव्वत्तिपज्जत्ताणं सत्याणपा बहुगं वत्तव्वं । सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उनसे उसीके जघन्य एकान्तानुवृद्धियोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं । उसके आगे उसके उत्कृष्ट एकान्तानुवृद्धियोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उनसे उसके ही जघन्य परिणामयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं । उसके आगे उसके ही उत्कृष्ट परिणामयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं । इस प्रकार शेष लब्ध्यपर्याप्त जीवसमासों के भी स्वस्थान अल्पबहुत्वका कथन कराना चाहिये । सूक्ष्म एकेन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तकके जघन्य उपपादयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद सबसे स्तोक हैं। उनसे उसके उत्कृष्ट उपपादयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उनसे उसके ही जघन्य एकान्तानुवृद्धियोग सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उनसे उसके ही उत्कृष्ट एकान्तानुवृद्धियोग सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं । इस प्रकार शेष छह निर्वृत्त्यपर्याप्तोंके स्वस्थान अल्पबहुत्वका कथन कराना चाहिये । सूक्ष्म एकेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककै जघन्य परिणामयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद सबसे स्तोक हैं। उनसे उसके ही उत्कृष्ट परिणामयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं । इस प्रकार शेष छह निर्वृत्तिपर्याप्त कोंके भी स्वस्थान अल्पबहुत्वका कथन करना चाहिये । १ अ आ-काप्रतिषु ' एगंताणुत्र डीओजोगस्स ' इति पाठः । Jain Education International २ तातो 'तो' इत्येतत्पदं नोपलभ्यते । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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