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१०६] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[१,२, ४, २९. सकलजोगट्ठाणद्धाणस्स सादिरेयअद्धम्मि चरिमजोगदुगुणवड्डीए अवठ्ठाणादो । जदि एगखंडम्मि दो-दोजीवगुणहाणीयो लब्भंति तो सव्वजीवगुणहाणीओ चदुगुणुक्कस्ससंखेज्जमेत्ताओ होति । अह जइ तिणि तो छगुणुक्कस्ससंखेज्जमेत्ताओ । अह जइ चत्तारि तो अट्टगुणुक्कस्ससंखेज्जमेत्ताओ। ण च एवं, पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तीओ जीवगुणहाणीओ होति त्ति परमगुरूवदेसादा । तेण एगखंडम्मि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तजीवगुणहाणीहि होदव्वं । तं जहा- दुगुणुक्कस्ससंखेज्जमेत्तखंडेसु जदि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्ताओ जीवगुणहाणिसलागाओ लब्भंति तो एगखंडम्मि केत्तियाओ लभामो त्ति सरिसमवणिय दुगुणुक्कस्ससंखेज्जेण जीवगुणहाणिसलागासु ओवट्टिदासु पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेतीओ एगखंडगयजीवदुगुणहाणिसलागाओ लब्भंति । तदो सिद्धं चरिमजोगगुणवड्डीए असंखेज्जदिभागो जीवगुणहाणि त्ति ।
एदाणि णिरयभवं णिरुभिय परूविदसव्वसुत्ताणि गुणिदकम्मंसियसव्वभवेसु पुध पुध परूवेदव्वाणि, एदेसिं सुत्ताणं देसामासियत्तदंसणादो' । ण च एक्कम्मि भवे जवमज्झस्सुवरि ।
क्योंकि, समस्त योगस्थान अध्वानके साधिक अर्ध भागमें अन्तिम योगदुगुणवृद्धिका अव. स्थान है। यदि एक खण्डमें दो दो जीवगुणहानियां पायी जाती हैं, तो सब जीवगुणहानियां चौगुणे उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण होती हैं । अथवा यदि एक खण्डमें तीन तीन जीवगुणहानियां पायी जाती हैं तो सब जीवगुणहानियां छहगुणे उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण होती हैं। अथवा यदि एक खण्डमें चार जीवगुणहानियां पायी जाती है तो सब जीवगुणहा आठगुणे उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण होती हैं। परन्तु ऐसा है नहीं, क्योंकि, पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र जीवगुणहानियां होती हैं, ऐसा परमगुरुका उपदेश है । इसलिये एक खण्डमें पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र जीवगुणहानियां होना चाहिये । यथादुगुणे उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण खण्डोंमें यदि पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र जीवगुण. हानिशलाकायें प्राप्त होती हैं तो एक खण्डमें कितनी प्राप्त होंगी, इस प्रकार समान राशियोका अपनयन कर दुगुणे उत्कृष्ट संख्यातका जीवगुणहानिशलाकाओमें भाग देनेपर पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण एक खण्डगत जीवदुगुणहानिशलाकाएं प्राप्त होती हैं। इससे सिद्ध है कि अन्तिम योगगुणवृद्धिके असंख्यातवें भाग प्रमाण जीवगुणहानि : होती है।
नारक भवका आश्रयकर कहे गये ये सब सूत्र गुणितकर्माशिकके सब भवों में पृथक पृथक् कहने चाहिये, क्योंकि, ये सूत्र देशामर्शक देखे जाते हैं । यदि कहा जाय कि एक
१ प्रतिषु · देसामासियदंसणादो' इति पाठः।
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