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२०.
छक्खंडागमे वेयणाखंड
[१, २, ५, २२. उरिमसव्वस्वधरिदेसु [ अवणिदे ] अवणिदसेसमिच्छिदपमाणं होदि ।
संपहि अवणिदगोवुच्छाविसेसे पयददव्वपमाषण कीरमाणे उप्पण्णसलागाणमाणयणं उच्चदे । तं जहा- रूवूणहेटिमविरलणमेत्तगोवुच्छविसेसेसु जदि एगरूवपक्खेवो लन्भदि तो उवरिमविरलणमेत्तगोवुच्छविससेमु किं लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदमिच्छमवहरिय लद्धं उवरिमविरलणाए पक्खिबिय समयपषद्धे भागे हिदे एगसमयपबद्धणाणासमयओकड्डिदणाणासमयगलिददव्वमागच्छदि । णवरि पढमसमयओकड्डिददव्वादो बिदियादिसमएस भोकड्दिदव्वं विसेसहीणं हादि ति ण सव्वगोबुच्छाओ समाणाओ। तेणेसो विसेसो जाणेदव्यो। एवं सव्वसमयपषद्धवाणं पुध पुध णाणासमयओकड्डिदणाणासमयगलिदाणं मागहारो वत्तव्यो। णवरि अणंतरादीदसंकलण-संकलणाणं गच्छादो रूवूणो ति घेत्तव्वो । एवमेगसमयपबद्ध-[णाणासमयओकडिडद:] णाणासमयगलिदपमाणपरूवणा कदा ।
संपधि णाणासमयपबद्धणाणासमयओकड्डिदणाणासमयगलिददव्वस्स परूवणा कीरदे । तं जहा - ओकड्डुक्कड्डण भागहारगुणिददिवड्डगुणहाणीओ दोआवलिऊणआबाहासंकलणासंकलणाए ओवट्टिय लद्धं विरलेदूण समयपबद्धं समखंड करिय दिण्णे एक्कक्कस्स रुवस्स
द्रव्योमसे कम करनेपर शेष रहा इच्छित द्रव्यका प्रमाण होता है।
__ अब कम किये गये गोपुच्छविशेषोंको प्रकृत द्रव्यके प्रमाणसे करने में उत्पन्न शलाकाओंके लानेकी विधि बतलाते हैं। वह इस प्रकार है- एक कम अघस्तन विरलन प्रमाण गोपुच्छावशेषों में यदि एक अंकका प्रक्षेप पाया जाता है तो उपरिम विरलन प्रमाण गोपुच्छविशेषों में कितने अंकोंका प्रक्षेप पाया जायगा, इस प्रकार प्रमाणसे फलगुणित इच्छाको अपवर्तित कर लब्धको उपरिम विरलनमें मिलाकर समयप्रबद्धमें भाग देनेपर एक समयप्रबद्धके नाना समयों में अपकृष्ट द्रव्यमेसे नाना समयोमै नष्ट हुआ द्रव्य आता है । विशेष इतना है कि प्रथम समय में अपकृष्ट द्रव्यमेंसे द्वितीयादिक समयों में अपकृष्ट द्रव्य चूंकि विशेष हीन होता है, भत एव सष गोपुच्छ समान नहीं हैं। इसलिये यह विशेषता जानने योग्य है। इसी प्रकार सब समयप्रबोंके नाना समयों में अपकृष्ट द्रव्यमसे नाना समयोंमें नष्ट द्रव्योंके भागहारकी पृथक् पृथक् प्ररूपणा करना चाहिये । विशेष इतना है कि अनन्तर अतीत तीन वार संकलनके गच्छसे वह एक कम होता है, ऐसा ग्रहण करना चाहिये । इस प्रकार एक समयप्रबद्ध के [ नाना समयों में अपकृष्ट द्रव्यमेंसे] नाना समयोंमें नष्ट द्रव्यकी प्ररूपणा की गई है।
___ अब नाना समयप्रबद्धोंके नाना समयोंमे अपकृष्ट द्रव्यमैसें नाना समयों में मष्ट द्रव्यकी प्ररूपणा करते हैं। वह इस प्रकार है- अपकर्षण-उत्कर्षणभागहारसे गणित डेढ़ गुणहानियोंको दो आवलियोंसे हीन आबाघाके संकलनासंकलनसे अपवर्तित कर लब्धका विरलन करके समयप्रबद्धको समखण्ड करके देनेपर एक
. प्रतिज्ञ ' उवरिमविरलणमेसपक्खेवेसु' इति पाः ।२ प्रतिषु ' संकलणासंकलणासंकलणाणं ' इति पाठः ।
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