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१, २, ४, २८.] वेयणनहाहियारे वेयणदव्वविहाणे सामित्तं
[ ९६ एवं णेदव्वं जाव गुणहाणिअद्धाणं समत्तं त्ति ।
बिदियगुणहाणिपढमणिसेयपमाणेण अवहिरिज्जमाणे छगुणहाणीयो भागहारो होदि । पुग्विल्लखेतं मज्झम्मि फालिय' पासम्मि ढोइदे जवमझ द्वैविक्खंभ-छगु गहाणि आयदखेत्तुप्पत्तीदो, एगगुणहाणि चडिदो त्ति एगरूवं विरलिय विगं करिय अण्णोण्णगुणिदरासिणा तिण्णिगुणहाणीयो गुणिदे छगुणहाणिसमुप्पत्तीदो वा । एदिस्से वि गुणहाणीए पुव्वं परूविदगणिदैकिरिया सिस्समइविष्फारणटुं एव्वा परवेदव्वा ।
उवरिमगुणहाणिपढमणिसेयस्स बारहगुणहाणीयो भागहारो होदि, जवमज्झविक्खंभं चत्तारिफालीयो काऊण पासे ढाइदे बारसगुणहाणिसमुप्पत्तीदो, दोगुणहाणीयो चडिदो त्ति दो रूवाणि विरलिय बिगुणिय अण्णोण्णब्भत्थरासिणा तिणिगुणहाणीयो गुणिदे बारसगुणहाणिसमुप्पत्तीदो वा । उवरि सादिरेयवारसगुणहाणीयो भागहारो होदि ।
उदाहरण - इच्छित आयाम ३ गुणहानि; विष्कम्भ ८ प्रक्षेप; ३ + १ = ४, ८४ = २, ३ + २ = ५ गुणहानि, इच्छित द्रव्यका अवहारकाल ।
इस प्रकार गुणहानिके सब स्थानोंके समाप्त होने तक जानना चाहिये ।
द्वितीय गुणहानिके प्रथम निषेकके प्रमाणसे अपहृत करनेपर छह गुणहानियां भागहार होता है, क्योंकि, पहले के क्षेत्रको मध्यमें फाड़कर पार्श्व भागमें मिलानेपर यवमध्यसे अर्धभाग प्रमाण विस्तृत और छह गुणहानि आयत क्षेत्र उत्पन्न होता है, अथवा एक गुणहानि आगे गये हैं इसलिये एक रूपका विरलन करके दुगुणित कर अन्योन्यगुणित राशिसे तीन गुणहानियोंके गुणा करनेपर छह गुणहानियां उत्पन्न होती हैं। शिष्योंकी बुद्धिको विकसित करने के लिये इस गुण हानिकी भी पूर्व में कही गई गणित-. प्रक्रिया सब कहना चाहिये।
इससे आगेकी गुणहानिके प्रथम निषेकका भागहार बारह गुणहानियां हैं, क्योंकि, यवमध्य प्रमाण विस्तृत क्षेत्रकी चार फालियां करके पार्श्व भागमें मिलानेपर बारह गुणहानियां उत्पन्न होती हैं, अथवा दो गुणहानियां आगे गये हैं इसलिये दो संख्याका बिरलन करके द्विगुणित कर परस्पर गुणा करने से जो राशि उत्पन्न हो उससे तीन गुणहानियोंको गुणित करनेपर बारह गुणहानियां उत्पन्न होती हैं। आगे साधिक बारह गुणहानियां भागहार हैं ।
१ सप्रती फोडिय' इति पाठः। ३ सपतौ । परूविदगुणिद-' इति पाठः।
२ प्रतिषु ' जवमझब्बाविक्खंभ' इति पाठः। . ४ प्रतिषु ' फासे ' इति पाठः।
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