Book Title: Puran Sukti kosha
Author(s): Gyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 17
________________ समय का ज्ञान सब नयों से श्रेष्ठ है । --- अवसर को जानने वाला पुरुष निश्चय ही यथोचित कार्य करता है । wwwww 1111 / VTT मनुष्यों की अवस्थाओं का परिवर्तित होना सामान्य बात है । की बेल से विष की उत्पत्ति नहीं हो सकती । अमृत कंठ में शिला बांधकर भुजाओं से तेरा नहीं जा सकता । समुद्र के रत्नों की उत्पति से नहीं होती। बालू को पेलने से लेशमात्र भी तेल नहीं निकल सकता । पानी के मथने से मक्खन की प्राप्ति नहीं हो सकती । जल से आत्मा की शुद्धि नहीं हो सकती । आत्मलाभ से बड़ा कोई ज्ञान नहीं है । ग्रात्मलाभ से बढ़कर कोई सुख नहीं है । आत्मलाभ से बड़ा कोई ध्यान नहीं है । आत्मलाभ से बड़ा कोई पद नहीं है । अपने चैतन्य स्वरूप के साथ बंधुता करो। कोई भी जीव अनादि से सिद्ध नहीं होता । यह जीव अकेला ही जाता है । 笑

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