Book Title: Puran Sukti kosha
Author(s): Gyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 39
________________ जो हुआ है उसकी मृत्यु नियत है । -- मस्तक पर खड़ा हुआ काल अवसर की प्रतीक्षा करता है । मृत्यु सभी बलवानों से अधिक बलवान है। मृत्यु का कारण कोई भी हो सकता है । जिनकी मृत्यु हो जाता है । जब तक मृत्यु का समय नहीं प्राता तब तक वक्त्र से श्राहत होने पर भी नहीं मरता । जब मृत्युकाल मा जाता है तब अमृत भी विष हो जाता है । Appapa निकट श्रा जाती है उनके स्वभाव में विभ्रम विकार -w विद्या (ज्ञान) मनुष्यों की बंधु है, मित्र है और कल्याण करने वाली है । अच्छी तरह से प्राराधित विद्या- देवता मनोरथों को पूर्ण करने वाली होती है । frer कामधेनु है । fear मनुष्यों के लिए चिन्तामणि के समान है । fter a rai (वर्म, अर्थ और काम ) रूपी सम्पदा उत्पन्न होती है । famr मनुष्यों को यशदात्री है। faur searणकारी मानी गई है । fear सब प्रयोजनों को सिद्ध करने वाली होती है । विद्या साथ जाने वाला धन है । २७

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