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share कार्यों को प्रारंभ करनेवाले मनुष्यों को क्लेश ही मिल सकता है ।
वही कार्य प्रकृत्य है जिससे निन्दा, दुख और पराभव हो ।
अकार्य में प्रवृत्ति करनेवाले दुःसह्य दुःख संतति को प्राप्त होते हैं।
अनर्थ प्रायः अनेक रूपो में आते हैं।
कार्य की उत्पत्ति कभी भी कारण के बिना नहीं होती ।
कारण के रहते हुए कार्य की हानि नहीं होती ।
इस संसार में कारण के बिना किसी भी कार्य की उत्पत्ति नहीं होती ।
कारण के बिना कार्य नहीं होता ।
कारण के बिना कोई कार्य नहीं होता ।
कारण के बिना कार्य नहीं होता ।
बिना कारण के कभी कोई कार्य नहीं होता ।
بست
afat afa के काव्यसृजन के परिणाम को जान सकता है । कविता करने में दरिद्रता नहीं बरतनी चाहिए।
सुनी सुनाई बात पर कोध करने से कोई लाभ नहीं । - कुपित शासक को शीघ्र प्रसन्न करना संभव नहीं है ।
कभी कभी क्रोध भी सुखदायी होता है । कभी कभी कोष से भी क्रोध दब जाता है ।
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