Book Title: Puran Sukti kosha
Author(s): Gyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 33
________________ — - mal - Ivin कोव दीक्षित को भी मोहान्ध बना देता है । 'साधु — hta से प्रगति होती है । प्रियजनों पर अधिक समय तक के लिए क्रोध करना अच्छा नहीं हैं । परलोक सुधारने के लिए क्षमा उत्तम साधन है । क्षमा से सब कुछ हो सकता है । कृतज्ञ मनुष्य दूसरे के द्वारा किये हुए उपकार का निरन्तर स्मरण रखते हैं । wwww कृतज्ञजनों द्वारा अपने उपकारी को सब कुछ देय है । कृतघ्न सत्पुरुषों से वार्तालाप करने योग्य नहीं है । विद्या की प्राप्ति गुरु से ही होती है । पात्र को उपदेश देनेवाला गुरु कृतकृत्य हो जाता है। गुरुसेवा से सब कुछ हो सकता है । गुरुभक्ति इष्ट फल देती है । स्वभाव कठिनाई से छूटता बदलता है । कलहंस पक्षी और बगुले का स्वभाव एकसा नहीं होता । गुणज्ञता संसार में पूज्य है और गुणों का सब जगह सम्मान होता है। गुणों से सभी वशीभूत हो जाते हैं । दूसरों द्वारा प्रशंसित गुण ही गुण कहलाते हैं । २१

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