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एवं परमश्रेय के स्वरूप को समझना चाहती है। - नीतिशास्त्र की उत्पत्ति-यदि इतिहास की ओर दृष्टि करें तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि मनुष्य के मन में जब गम्भीर विचारों तथा विवेचनात्रों का उदय हुआ तो सर्वप्रथम उसका ध्यान बाह्य जगत की गुत्थियों को सुलझाने की ओर गया। कुछ काल पश्चात् ही उसने जीवन की व्यावहारिक आवश्यकताओं को सुलझाने का प्रयास किया। उसके जीवन के ध्येय को जानना चाहा । यही प्रेरणा नीतिशास्त्र की जन्मदात्री है । इसी प्रेरणा के कारण वह परम्परागत भावनाओं, प्रचलनों और अभ्यासों को समझना चाहता है। प्रचलित मान्यताएं और आस्थाएँ जीवन की प्रगति में तथा मनुष्य को प्रात्म-सन्तोष देने में कहाँ तक सहायक होती हैं, उसकी बौद्धिक जिज्ञासा एवं नैतिक चेतना इस सत्य को निरन्तर खोजती है । नीतिशास्त्र, इस दृष्टि से, वह बौद्धिक प्रणाली है जिसके द्वारा प्रत्येक व्यक्ति में कर्तव्य का निर्णय किया जाता है । मनुष्य के लिए क्या उचित है, उसे प्रचलनों और अभ्यासों का कहाँ तक अनुकरण करना चाहिए; उसे अपने स्वतन्त्र इच्छित कर्म द्वारा किस ध्येय की प्राप्ति करनी चाहिए, आदि सब बातें नीतिशास्त्र के ही अन्तर्गत आती हैं।
शब्द-विज्ञान के अनुसार नीतिशास्त्र की परिभाषा-मनुष्य की बुद्धि ने सर्वोच्च ध्येय (निःश्रेयस) को जानने का तथा उसकी नैतिक प्रवृत्ति ने समाज में प्रचलित रीति-रिवाजों और अभ्यासों को समझने का प्रयास किया। अभ्यासों एवं रूढिरीतियों का उद्भव आकस्मिक घटना के रूप में नहीं होता। वे मनुष्य की आन्तरिक आवश्यकताओं और स्वभाव को व्यक्त करते हैं। वे देश, समाज और व्यक्ति के प्रान्तरिक जीवन के सूचक हैं । नीतिशास्त्र उन पर न्यायसम्मत निर्णय देने का प्रयास करता है । वह मनुष्य की आदतों और रीति-रिवाजों का विज्ञान है । शब्द-विज्ञान के अनुसार एथिक्स (Ethics) अर्थात् नीतिशास्त्र ग्रीक शब्द एथोस (Ethos) से लिया गया है। एथौस का अभिप्राय चरित्र (Character) से है । यह चरित्र का विज्ञान है । एथिक्स का ही पर्यायवाची शब्द 'मॉरल फिलॉसफी' (Moral philosophy) है। मॉरल शब्द लैटिन के 'मॉरेस' (Mores) से लिया गया है। इसका सर्वप्रथम प्रयोग रीति-रिवाज और अभ्यास के अर्थ में हुआ। इस प्रकार मॉरल फिलॉसफी का अर्थ हुआ : रीतिरिवाज, प्रचलन और अभ्यास का दर्शन । यह मनुष्य के चरित्र का विवेचन कर उन तत्त्वों को जानना चाहता है जिनके आधार पर वे स्वभावत:अभ्यासवश-कर्म करते हैं । यह मनुष्य के शुभ या उचित प्राचार (Conduct)
नैतिक समस्या | १६
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