________________ .. . . विक्रमचरित्र का टुंकसार [ वाचक महाशयों को चाहिए कि किसी भी ग्रन्थका रसास्वाद सचमुच ही आकण्ठ तृप्ति के लिये पाना हो तो ग्रन्थ-परिचय व उनकी प्रस्तावना शुरू. शुरु में ही दृष्टिगोचर कर मेवे। इसी मान्यता से मैंने सबसे प्रथम अन्य परिचय लिखने का प्रयल किया है। आशा है कि बाचकगण इसका अति प्रेमसे भादर करेंगे और उपयोग करेंगे। सर्ग पहला.......... पृष्ठ 1 से 63....... प्रकरण 1 से 9 प्रकरण प्रथम . . . . पृष्ठ 1 से 9 तक . अवन्ती का पूर्व परिचा . - शुरु शुरु में यह ग्रन्थ बनाने में निमित्तभूत जगप्रसिद्ध अवन्ती नगरी का परिचय और उनके अधिपति राजा गन्धर्वसेनका वर्णन बतलाया है / बादमें महाराजा का स्वर्गवास व उनके दो पुत्रमें से मुख्य पुत्र राजकुमार भर्तहरिका राज्याभिषेक हुआ और उनकी पत्नी परानी अनङ्गसेना (मिमल)ने भर्तृहरिद्रास कोस भाई सुखराजा विक्रमादित्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org