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५५ नमो पद का महत्व ५६ नमोपद से अहन्ता ममता का त्याग ५७ अव्यय पद ५८ निर्मल वासना ५६. परमेष्ठि नमस्कार से ममत्व की मिद्धि ६० पांच प्रकार के गुरु
ध्यान एव लेश्या ६२ लेश्याविशुद्धि एव स्नेहपरिगाम ६३ कृतज्ञतागुण का विकास ६४. नमस्कार मे नम्रता ६५. सर्वश्रेष्ठ महामत्र ६६ त्रिकरणयोग का हेतु ६७ सच्ची मानवता ६८. श्री पचपरमेष्ठिमय विश्व ६६ पी पचपरमेष्ठि का ध्यान ७०, नवकार मे भगवद्भक्ति ७१ श्री नमस्कारमत्र का स्मरण