Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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( २६ ) प्रमा की नयी परिभाषा -प्रो० संगमलाल पाण्डेय भारतीय योग परम्परा में जैन आचार्यों के
योगदान का मूल्यांकन -डॉ० ब्रह्ममित्र अवस्थी आगम साहित्य में ध्यान का स्वरूप -युवाचार्य डॉ० शिव मुनि
ध्यान : रूप : स्वरूप-एक चिन्तन -डॉ० साध्वी मुक्तिप्रभा आत्मा के मौलिक गुणों की विकास प्रक्रिया के
निर्णायक : गुणस्थान -श्री गणेश मुनि शास्त्री भारतीय दर्शन : चिन्तन की रूपरेखा -प० देवकुमार जेन चतुर्थ खण्ड
२७५ से ३५६ तक जैन संस्कृति के विविध आयाम श्रमण संस्कृति -आचार्य राजकुमार जैन
२७५ महाव्रतों का युगानुकूल परिवर्तन -अ. प्र. मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल' केवलज्ञान और केवलदर्शन, दोनों उपयोग
युगपत् नहीं होते -कन्हैयालाल लोढ़ा भौतिक और अध्यात्म विज्ञान --प्रवर्तक श्री रमेशमुनि सर्वोदयी विचारों की अवधारणा के प्रेरक
जैन सिद्धान्त -डॉ० श्रीमती शारदा स्वरूप
जागे युवा शक्ति ! -उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि भगवान महावीर के सिद्धान्तों का दैनिक जीवन में उपयोग -डॉ० नरेन्द्र भानावत
३११ श्रमण संस्कृति का व्यापक दृष्टिकोण --डॉ० साध्वी दिव्यप्रभा
३१४ अदत्तादान-विरमण की वर्तमान प्रासंगिकता -ब्रजनारायन शर्मा
३१७ प्राचीन भारतीय दण्डनीति -डॉ० तेजसिंह गौड़
३२३ भगवान महावीर और उनके द्वारा संस्थापित
नैतिक मूल्य -डॉ० रामजीराय, आरा
अहिंसाया अन्तलिपिः -डॉ० केवलचन्द्र दाशः जैन शिक्षा बनाम आधुनिक शिक्षा -विजयकुमार (शोधछात्र)
३३४ धार्मिक तथा नैतिक शिक्षा -डॉ० (श्रीमती) हेमलता तलेसरा चारित्रिक संकट से मुक्ति अहिंसा और सामाजिक परिवर्तन : आधुनिक सन्दर्भ -प्रो० कल्याणमल लोढ़ा
३४३ संस्कृत साहित्य और मुस्लिम शासक -श्री भंवरलाल नाहटा
३५२ 5 साध्वीरत्न कसमवती अभिनन्दन ग्रन्थ )
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