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तुलसी और वट
चिन्तक ने हाथ में दो बीज लिए, एक था तुलसी का और एक था वट का।
घर में एक गमला सजाया, मिट्टी डालो और तुलसी का बीज उस में डाल दिया। ___ घर के बाहर खुली भूमि में वट का एक बीज उसने गाड़ दिया।
धूप व सर्दी से तुलसी की रक्षा करता, समय-समय पर पानी पिलाता और खाद भी देता । बीज अंकुर बना।
वट के बीज की किसी ने परवाह नहीं की, धूप-सर्दीगर्मी के थपेड़ों से खेलता वह प्रकृति से ही सब कुछ पाता रहा। एक दिन भूमि पर अंकुर के रूप में गर्दन उठा कर खड़ा हुआ। ___ समय की आंधियां निकल गई। तुलसी का पौधा अब भी घर की चारदिवारी में बंद गमले के आश्रय पर खड़ा था।
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