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संयम ही महान् बनाता है !
अथर्ववेद में एक स्थान पर पूछा गया है-"राष्ट्र की रक्षा करने वाले राजा में किन गुणों की आवश्यकता
है ?"
उत्तर में दो महान् गुणों की चर्चा करते हुए कहा है-"ब्रह्मचर्येण तपसा राजा राष्ट्र वि रक्षति"ब्रह्मचर्य और तप की साधना से राजा राष्ट्र की रक्षा करने में समर्थ होता है।
ब्रह्मचर्य के द्वारा अपने मन पर, इन्द्रियों पर, शरीर पर और परिस्थितियों पर-विजय प्राप्त की जाती है।
तप-मनुष्य को अपने कर्तव्य पालन के लिए सतत जागरूक, निष्ठावान और श्रमशील बनाता है।
ब्रह्मचर्य से पुरुष-मनोबली, साहसी, तेजस्वी और अपराजेय बनता है, तप से मनुष्य कर्तव्यनिष्ठ, उद्योगी और जागरूक रहता है। ये दो महान् गुण जिस मानव
अथर्ववेद १११५।१७ Jain Education International
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