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रसायन का उपयोग
आधुनिक विज्ञान के पिता आइंस्टीन से पूछा गया - "विज्ञान की असीम उपलब्धियों का लक्ष्य क्या है ?"
"मानवता की सेवा" - आइंस्टीन ने छोटा-सा उत्तर दिया, जिसमें समस्त ज्ञान-विज्ञान की दिशा-दृष्टि झलक उठी ।
उपनिषद् में एक जगह पूछा गया है - "ब्रह्म क्या है ? अर्थात् ज्ञान का अन्तिम लक्ष्य क्या है ?
उत्तर में एक छोटा सा सूक्त कहा गया है - "अभयं वै ब्रह्म"" अभय ही ब्रह्म- समस्त ज्ञान का अन्तिम लक्ष्य है ।
मनुष्य स्वयं अभय हो, दूसरों को अभय दे । स्वयं श्रम करे और अपने श्रम बल से दूसरों को लाभान्वित करे - यह उसके ज्ञान, विज्ञान और बुद्धिबल की उपयोगिता है ।
प्रख्यात रसायनशास्त्री आचार्य नागार्जुन को अपनी प्रयोगशाला के लिए एक सहायक की आवश्यकता थी !
१. बृह० उप० ४।४।२५
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