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दुनियां का मालिक भगवान महावीर ने कहा है
अप्पाहारस्स दंतस्स देवा दंसेंति ताइणो।' जो साधक अल्पाहारी है, इन्द्रियों का विजेता है, समस्त प्राणी जगत के प्रति मैत्री-करुणा का अक्षय-अमृत स्रोत बहाता है, उसके दर्शनों के लिए देव एवं देवेन्द्र भी आतुर रहते हैं।
वास्तव में जिसने अपने पर विजय प्राप्त करली, अपनी वासनाओं को खत्म कर दिया, संसार में उससे बढ़कर सुखी, तथा विजयी कौन है ?
कबीरदासजी ने कहा हैचाह मिटी, चिता घटी, मनवा वे परवाह । जिनको कछु चहिए नहीं, सो शाहन का शाह ।।
जिसे किसी की चाह नहीं, उसे चिता भी नहीं, वह संसार का सबसे बड़ा बादशाह है।
१. दशाश्रु तस्कंध ५४
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