Book Title: Khilti Kaliya Muskurate Ful
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 242
________________ दान और विनम्रता २१६ विनम्रता के सम्बन्ध में कलकत्ता के भूदेव मुखो - पाध्याय की जीवन घटना एक आदर्श की ओर इंगित करती है भूदेव मुखोपाध्याय ने अपने पिता श्री विश्वनाथ तर्कभूषण की स्मृति में एक लाख साठ हजार की संपत्ति दान करके 'विश्वनाथ फंड' की स्थापना की थी । इस फंड से देश के प्रसिद्ध सदाचारी विद्वानों को विना किसी प्रार्थना व अपील के घर बैठे पचास रुपए मासिक की सहायता भेजी जाती थी। किसी भी विद्वान् को इस सहायता के लिए कभी किसी प्रकार की प्रार्थना की अपेक्षा नहीं थी । एक बार फंड के प्रथम वर्ष की वृत्तियों का विवरण एजुकेशनल गजट में प्रकाशित करने भेजा जा रहा था । कर्मचारी ने सूची बनाई - " इस वर्ष जिन-जिन अध्यापकों एवं विद्वानों को विश्वनाथवृत्ति दी गई, उनकी नामावली ।" भूदेव बाबू ने जब सूची देखी तो कर्मचारी पर अप्रसन्न होकर बोले- यह क्या लिखमारा ? इसे यों लिखिए " "इस वर्ष जिन-जिन अध्यापकों एव विद्वानों ने विश्वनाथ वृत्ति स्वीकार करने की कृपा की उनकी नामावली ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org

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