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सफलता का नुस्खा
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शक्ति का चतुर्थ भाग केवल बहुत बोलने से ही नष्ट हो जाता है । यही संकेत प्रज्ञापुरुष महावीर ने दिया है'नाइवेलं वएज्जा' '. आवश्यकता से अधिक नहीं बोलना चाहिए ।
१
आधुनिक विज्ञान का पिता आइंस्टीन एक बार कोलंबियो यूनिवर्सटी में दीक्षांत भाषण दे रहे थे । भाषण के पश्चात् छात्रों ने पूछा - "कृपया, हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने का कोई सीधा-सा नुस्खा बतलाइये ।”
आइंस्टीन ने मुस्कराकर कहा
A=X+Y+z
=
अर्थात् A = सफलता, X काम, Y = मनोरंजन, Z मान - श्रम, मनोरंजन (आनन्दानुभूति) और मौन - यही सफलता का सरल नुस्खा है ।"
छात्रों ने पूछा - "मौन का क्या मतलब है ?”
आइंस्टीन ने उत्तर दिया- "मेरे कोष में मौन का अर्थ है जितना जरूरी हो उससे भी कम बोलना ।"
वस्तुतः सफलता तभी प्राप्त होती है जब कर्म में आनन्द की अनुभूति हो, और वह मौन भाव के साथ किया जाय । "
२ सूत्र० १।१४।२५
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