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उत्साह की विजय
उत्साह, जीवन की पहचान है। जिस मनुष्य का उत्साह ठंडा होगया, वह जीवित ही मर गया। उत्साह से आत्मविश्वास स्फूर्त होता है, और आत्म विश्वासमनुष्य को हर परिस्थिति में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। भय, संकट एवं खतरे की आंधियों में भी जिसके आत्मविश्वास का अखंडदीप प्रज्ज्वलित रहता है, विजय श्री उसके चरण चूमती है। भगवान महावीर से पूछा गया-"मनुष्य हारता क्यों है ? और विजेता कैसे बनता है ?"
भगवान महावीर ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया"सवीरिए परयिणति, अवीरिए परायिज्जति-शक्तिशाली, उत्साह और विश्वाससंपन्न व्यक्ति जीतता है, और शक्तिहीन-निरुत्साही हार जाता है।
१. भगवती सूत्र
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