Book Title: Khilti Kaliya Muskurate Ful
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 279
________________ २५६ जीवन स्फूर्तियाँ जैन इतिहास के प्रसिद्ध ग्रंथ 'प्रबंधचिंतामणि' में गुर्जर नरेश सम्राट कुमारपाल के जीवन की एक घटना है। एक बार कुमारपाल और सांभर के राजा सपादलक्ष जो कुमारपाल के बहनोई भी थे, दोनों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा। सपादलक्ष ने अपना पक्ष दुर्बल देखा, तो कुमारपाल के सामंत एवं सेनापतियों को विविध प्रलोभन देकर अपने जाल में फाँस लिया। युद्ध शुरू हुआ। पर सम्राट के सेनापतियों की ओर से शस्त्र चल नहीं रहे थे। कोई शस्त्र उठा रहा था तो बड़े अनमने ढंग से । सेना पीछे खिसकने लगी, तो सम्राट ने महावत से पूछा-"यह क्या हो रहा है, सेना पीछे हटती क्यों जा रही है ?" महावत स्थिति की गहराई को जान रहा था। उसने कहा--"आपके सामंत व सेनापति सांभर नरेश के चक्कर में आ गये हैं, सब बदल गये हैं।" सुनते ही कुमारपाल की भुजाए फड़क उठीं। उस का क्षात्रपौरुष जाग उठा - "सेना बदल गई है ? अच्छा पर कुमारपाल तो नहीं बदला है ? उसकी भुजाए और तलवार तो नहीं बदली है....?" सम्राट के आरक्त नयनों से अंगारे बरसने लगे। महावत ने कहा- "महाराज ! सब कुछ बदल सकता है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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