Book Title: Khilti Kaliya Muskurate Ful
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 267
________________ मोटी चादर सत्पुरुष का संकल्प,वज्रमय होता है और हृदयनवनीत के समान ! वे अपने निश्चय में मेरु की तरह अचल,अभेद्य होते हैं, और संकल्प में वज्र के समान सुदृढ़ ! किंतु दूसरों का दुःख देखकर उनका कोमल दिल मक्खन की तरह पिघल जाता है, और वज्रसंकल्प के साथ उसे दूर करने के लिए पर दृढ़ हो जाते हैं। - जैनाचार्य जिनभद्र ने साधुपुरुषों को इसीलिए -"णवणीय तुल्ल हियया साहू"'-नवनीत हृदय कहा है। आचार्य बुद्धघोष ने इसीलिए सत्पुरुषों की करुणा को 'करुणा' कहा है, चूंकि वह दूसरों के दुःख से हृदय को कंपा देती है-"पर दुक्खे सति साधूनं हृदयकंपनं करोतीति करुणा। और- "किणाति वा परदुक्खं, हिंसति विनासेतीति करुणा ।"२ दूसरों का दुःख १. व्यवहारभाष्य ७।१६५ २. विसुद्धिमग्गो ६६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288