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जीवन स्फूतियाँ __इंगलैंड में एक बार 'रायलएकाडमी' संस्था की
ओर से एक विशाल चित्रप्रदर्शनी का आयोजन किया गया । संसार भर के श्रेष्ठ चित्रकारों के इतने चित्र आये कि हॉल की गेलरी आदि दर्शनीय स्थानों पर चित्र सजाने के बाद भी काफी चित्र बचे रह गये। ___"यह चित्र किसका है, बहुत सुन्दर है, यदि हॉल में कहीं भी स्थान खाली होता तो इस चित्र को प्रदर्शनी में अवश्य लगाते, किंतु अफसोस"..- एक सदस्य ने किसी नवोदित चित्रकार के चित्र की ओर संकेत करके कहा।
प्रसिद्ध चित्रकार टर्नर भी. उस एकाडमी के सदस्य थे। उन्होंने उक्त प्रस्ताव पर कहा-"यदि वास्तव में चित्र सुन्दर हो, तो लगाना ही चाहिए उसके लिए स्थान तो मिल जायेगा?"
सदस्यों ने आश्चर्यपूर्वक टर्नर की ओर देखा"स्थान खाली कहाँ है ?"
तभी टर्नर ने अपना एक लगा हुआ चित्र उतारते हुए कहा-“नये कलाकार को अवश्य स्थान मिलन चाहिए। नई कला का आदर और नई प्रतिभा क सम्मान ही कलाकार का धर्म है।" ___टर्नर की उदार गुणवृत्ति पर सदस्यों ने तालियां पीट कर प्रसन्नता व्यक्त की।
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