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मुक्ति के लिए... किसी विद्वान् से पूछा गया- "सज्जन और दुर्जन की क्या पहचान है ?"
उत्तर में विद्वान् ने सामने खड़े एक फल-फूलों से लदे विशाल वृक्ष की ओर संकेत किया-देखते हो, मधुर फलों के लिए वृक्ष पर कुछ लोग पत्थर व ढेले फेंक रहे हैं, और वृक्ष बदले में क्या देता है ?
मधुर फल ! "बस, यही सज्जन का स्वभाव है।"
और देखो, तलैया के किनारे कुछ कीचड़-सा है, कुछ बालक उसमें भी पत्थर फेंक रहे हैं, और कीचड़ में पत्थर फेंकने वालों को क्या मिलता है ?
गंदे छींटे ! बस, यही दुर्जन का स्वभाव है !
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