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प्रज्ञाहीनता
प्रज्ञा,श्रद्धा की कसौटी है, और श्रद्धा प्रज्ञा की पृष्ठभूमि । ___ जीवन में जितना स्थान बुद्धि को दिया जाता है उतना ही श्रद्धा को भी, और श्रद्धा के समान ही बुद्धि को भी! आरण्यक में कहा है
प्रज्ञा पूर्वरूपं, श्रद्धोत्तररूपं ।' प्रज्ञा-बुद्धि पूर्वरूप है, और श्रद्धा उत्तर रूप!
शास्त्रों में जहाँ कहा है-सद्धा परम दुल्लहा-२ श्रद्धा परम दुर्लभ है, वहाँ पन्ना समिक्खए धम्मं3- प्रज्ञा से धर्म की परीक्षा करो-के विवेक वचन भी हैं।
जहाँ श्रद्धा में बुद्धि का प्रकाश न हो, वहाँ श्रद्धा जड़-आग्रह, अंधविश्वास के मलिन-आवरण में अस्पृश्यासी रह जाती है।
१. शाँख्यायन आरण्यक ७।१८,२.उत्तराध्ययन३,३. उत्तराध्ययन२३
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