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प्रज्ञाहीनता
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विवेक विचार होन जड़विश्वास कितना निर्बल व मूर्खता पूर्ण सिद्ध होता है इसका एक उदाहरण इस घटना में मिलता है
अरब में जब सर्वप्रथम बादशाह इब्न सऊद के लिए टेलीफोन लगाए जा रहे थे, तो वहां के मुल्ला-मौलवियों ने इसका जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा --- "इस में जरूर किसी शैतान का हाथ है, वर्ना यह कैसे संभव है कि एक दूसरे का चेहरा बिना देखते हुए भी लोग एक दूसरे से बातचीत करलें ।”
अरब ठहरा मुल्लाओं का देश ! बादशाह उनकी बात को कैसे टाले ? आखिर बुद्धिमान लोगों ने फसला किया" अगर सचमुच ही टेलीफोन के तारों में किसी शैतान का निवास है तो, निश्चित ही कुरान की पवित्र आयतें उन तारों से होकर नहीं गुजर सकेगी, अर्थात् टेलीफोन पर उन आयतों को सुना नहीं जा सकेगा, अतः एक व्यक्ति महल में टेलीफोन पर बैठे और दूसरा टेलीफोन एक्सचेंज में बैठकर आयतें बोलें ।"
जब टेलीफोन पर कुरान की आयतें सुनाई पड़ी तो मुल्लाओं को यह विश्वास हुआ कि सचमुच ही इसमें शैतान का कोई करिश्मा नहीं है ।
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