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दुनियां का मालिक
२१७ कहते हैं, एक बार सिकन्दर भारत में हिमालय की तराई में एक जंगल को पार कर रहा था। उसने देखा कि पहाड़ी के ऊपर एक साधु बैठा है। उस साधु ने सिकंदर की तरफ आंख उठाई और फिर पलकें मूद कर बैठ गया। सिकंदर को रोष आया- "यह साधु कैसा है ? जिसने मुझे न सलाम किया, न उठकर खड़ा हुआ !" सिकंदर साधु के पास आया, और पूछा- “तू कौन है ?"
साधु ने कहा- "मैं दुनियां का मालिक हैं।"
सिकंदर ने कहा- "तू कैसा दुनियां का मालिक है ? तेरे पास न सेना है, न धन दौलत है, तेरे वदन पर तो पूरे कपड़े भी नहीं ? दुनियां का मालिक तो मैं हूँ सिकंदर ; जानता नहीं तू मुझे ?' ।
साधु ने आँखें मूदे ही जवाब दिया-"मैं तो तुझे जानता ही नहीं, फिर तू कैसे दुनिया का मालिक बना?"
साधु की बात का सिकंदर के पास कोई जवाब नहीं था।
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