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सत्यनिष्ठा
ग्रीक दर्शन के आदिपुरुष सुकरात से किसी ने पूछा- “जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए गुणों की आवश्यकता है।"
सुकरात ने कहा-"बुद्धि और श्रम इन दो गुणों की।" "और महान बनने के लिए ?'
केवल एक गुण-'सत्यनिष्ठा' की"
सचमुच सत्य ही मनुष्य को महान बनाता है। अथर्ववेद में कहा है-सत्येनोर्ध्वस्तपति'-- मनुष्य सत्य से ऊपर तपता है, संसार पर सूर्य की तरह छत्र बनकर रहता है।
जिस जीवन में सत्य के संस्कार होते हैं, वह जीवन वट वृक्ष की भांति हमेशा फलता-फूलता जाता है।
१. अथर्ववेद १०८।१६
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