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जीवन स्फूर्तियाँ राज्यकोष में दिया है। प्रजा के कर पहले से कुछ घटा दिए गये हैं, राज-सेवकों को भी विशेष सुविधाएं दी गई हैं। ग्रीष्मकाल की दुःसह धूप व प्यास से बचने के लिए अनेक स्थानों पर विश्राम-स्थल व कुए बनाए गए हैं । रोगियों के लिए नि: शुल्क चिकित्सालय, तथा प्रजा के बालकों की शिक्षा के लिए अनेक पाठशालाए राज्य की ओर से खोली गई हैं। इस कारण राज्य के कोष में गत वर्ष की अपेक्षा कम स्वर्ण प्राप्त हुआ है।"
प्रियदर्शी अशोक तभी सिंहासन से उठे- "मुझे प्रजा के शोषण से प्राप्त होने वाली स्वर्णराशि नहीं चाहिए । मैं अपनी प्रजा को अधिक से अधिक सुखी देखना चाहता हूँ, और इसलिए अपने प्रांताध्यक्षों को श्रेष्ठ शासक के रूप में देखना चाहता हूँ न कि शोषक के रूप में। मगध के प्रान्तीय शासक सर्वश्रेष्ठ शासक हैं। इस वर्ष का पुरस्कार उनका गौरव बढ़ायेगा, और अन्य शासकों को प्रेरणा भी देगा।" और सम्राट ने मगध के शासक को सम्मानित कर शासक के आदर्शों की नई दृष्टि दी।
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