________________
१४२
अनुश्रुत श्रुतियां
होगा, वहीं मिलिन्द जायेगा, जिसमें गुण होंगे, मैं उससे अवश्य प्यार करूंगा - चाहे गोरी हो या काली !"
"ओह ! बड़े गुण रसिक हैं आप, बताइये तो इस नंगी बाँसुरी में कौन - सा ऐसा गुण है जिसने आपके मन को मोह लिया है ?”
"अच्छा, तुम्हें पता भी नहीं ! यही तो तुम्हारा ईर्ष्यालु स्वभाव है । न स्वयं में गुण, न दूसरे के गुणों का आदर । सुनो ! मेरी प्यारी बंसरी में तीन गुण हैं।'' श्रीकृष्ण ने मधुर हास्य के साथ कहा -- “ बंशरी में पहला गुण है - यह बिना बुलाए कभी नहीं बोलती, चाहे रातदिन मेरे साथ रहती है, पर जब तक मैं बुलाता नहीं, एक शब्द इसके मुंह से नहीं निकलता ! क्यों है न कुछ विशेषता ?"
" और दूसरी क्या बात है इसमें ? "
दूसरा गुण बंशरी में है - " जब भी बोलेगी, माठी बोलेगी !" गोपियों ने सिर धुना - "अहा आज तो बंशरी पर मुग्ध हो उठे हैं आप ! गुण-ही-गुण नजर पड़ते हैं, बताइए और क्या-क्या विशेषताएं हैं इस प्राणप्यारी में ....... ।”
" मेरा प्यार है, इसलिए यह गुणी नहीं, किंतु इसमें गुण है इसलिए मैं प्यार करता हूँ" - श्रीकृष्ण ने कहासुनो इसका तीसरा गुण तो सचमुच ही बड़ा महान् है
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org