________________
संगीत का आनंद
वाणी आनन्द की स्रोतस्विनी है, इसकी शीतलमधुर-उच्छल धाराए जब प्रवाहित होती हैं तो समस्त जीव-जगत आनंद की हिलारें लेने लगता है।
वाणी में सरस्वती का निवास है,--'वाचा सरस्वती वाणी समग्र विश्व की अधीश्वरी है तथा ऐश्वर्य की सष्टि करने वाली है- "अहं राष्ट्री संगमनी वसूनां ।" - किस वाणी की यह अपार महिमा है ? ।
उस वाणी की, जो लोक मंगल के लिए आत्मा की मधुवर्षिणी स्वर लहरियों में व्यक्त होती है, जो अनन्त आनन्द की उपलब्धि के लिए निष्काम-निर्भय-निर्द्वन्द्व भाव से मुखरित होती है, केवल लोक रंजन की भावना से नहीं। जैन शास्त्रों की भाषा में- “सव्व जगजीवरक्खण दयट्ठाए'२ समस्तजग-जीवों के प्रति असीम करुणाअनुकंपा के अमृत से आप्लावित हो जो वाणी प्रवाहित
१. यजुर्वेद १६।१२ Jain Education International
२. ऋग्वेद १०।१२।३ For Private 5sonal Use Only
www.jainelibrary.org