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सत्पुरुष का आभूषण
आचार्य बुद्धघोष ने कहा हैसोभन्तेवं न राजानो मुक्तामणिविभूसिता यथा सोभंति यतिनो सीलभूसनभूसिता ॥'
बहुमूल्य मोतियों के हार और सुन्दर परिधानों से विभूषित राजा ऐसा सुशोभित नहीं होता है, जैसा कि शील सदाचार के आभूषणों से विभूषित सत्पुरुष शोभित होता है। . वास्तव में शील ही सबसे बड़ा आभूषण है"शीलं परं भूषणं।" शील की सुगन्ध बहुत ही मधुर, श्रेष्ठ और शीतल है, इस आभूषण से न केवल शीलवान ही सुशोभित होता है, किंतु शीलवान का परिपार्व, परिवार, समाज और राष्ट्र भी उससे गौरवान्वित होता है, उस मधुर गंध से संपूर्ण महीतल सुवासित हो उठता है।
१. विसुद्धिमग्गो १२४
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