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अनुश्रुत श्रुतियाँ ___ एक भद्र महिला ने कुतूहल वश अपने साथ के पुरुष से कहा -"जरा इन महाशय की वेश भूषा तो देखो ! क्या अनोखी है।'
स्वामीजी ने पीछे मुड़कर देखा, अपने को भद्र सज्जन और सभ्य समझने वालों की नजरें दूसरों के लिए कितनी असभ्य बन रही है। स्वामीजी गंभीर हास्य के साथ बोले-"बहन ! तुम्हारे इस देश में मनुष्य के कपड़े ही सज्जनता एवं सभ्यता की कसौटी है, किन्तु मैं जिस देश से आया हूँ, उस देश में मनुष्य की सज्जनता, भद्रता और सभ्यता कपड़ों से नहीं, उसके चरित्र से पहचानी जाती है।"
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