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तीन देवियाँ क्रोध से मढ़ता का जन्म होता है, मूढ़ता से स्मृति विभ्रम और फिर बुद्धि नाश !
लोभ से निर्लज्जता आती है, निर्लज्जता व्यक्ति को चोरी, दुराचार और करता की ओर बढ़ाती है। "लोभाविले आयइ अदत्त २.- लोभी चोर होता है, चोर को लज्जा कैसी ?
भय के समान शक्ति और साहस का अन्य दुश्मन कौन है ? उपमा, अर्थगौरव और शब्द-चातुरी के धनी महाकवि माघ के शब्दों में
किमिव हि शक्तिहरं स साध्वसानाम । भय के समान और क्या है शक्ति नाशक ?
तीनों के समन्वित परिणाम की झांकी दिखाने वाली एक प्राचीन लोक कथा है ।
एक युवक मार्ग में अकेला जा रहा था। उसे तीन दिव्य देवियाँ मिलीं । युवक ने उनसे पूछा- "तुम कौन हो ?"
पहली ने कहा- "मेरा नाम बुद्धि है।" "कहाँ रहती हो तुम ?" 'मस्तिष्क-लोक में'-बुद्धि ने उत्तर दिया ।
"तुम कौन हो, सुन्दरी !"--युवक ने दूसरी देवी को ओर मुड़कर पूछा।
२. उत्तराध्ययन ३२।२६
३. शिशुपालवध
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