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आत्महत्या
संत कनफ्यूशियस ने कहा है-''बड़े से बड़ा ज्ञानी भी तब मूर्ख प्रतीत होता है, जब वह अपने मुह से अपनी प्रशंसा करता है।" ____ जब मनुष्य अपने को जितना है उससे अधिक समझने लगता है तो उसमें आत्म-ख्याति की भावना जगती है। आत्म-ख्याति, आत्म-प्रशंसा-वास्तव में एक धोखा है, जो मनुष्य को वास्तविकता से गुमराह कर देता है।
महाभारत में गीतोपदेष्टा श्रीकृष्ण अर्जुन के समक्ष इस बात की उद्घोषणा करते हैं--"अपने मुह से अपनी प्रशंसा करना आत्म-हत्या है।"
प्रसंग है कि, महाभारत के युद्ध में एक दिन युधिष्ठिर कर्ण के हाथों बुरी तरह पराजित हुए। गाण्डीवधारी अर्जुन उनके समक्ष आए तो पराजय से झुंझलाए युधिष्ठिर का सब आक्रोश धनुर्धर अर्जुन पर बरस पड़ा-"धिक्कार है तुम्हारे इस गाण्डीव को,
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