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अनुश्रुत श्रुतियां “मेरा नाम है लज्जा ! मैं दृष्टि लोक में रहती हूँ।" "और यह तेजोदीप्त आंखों वाली कौन है ?"
"मेरा नाम है-हिम्मत ! मैं हृदय लोक में निवास करती हूँ।"
युवक ने तीनों देवियों को नमस्कार कर कदम आगे बढ़ाए ही थे कि तीन भयानक आकृतिधारी दैत्य उसके सामने आ धमके।
साहस भरे स्वर में युवक ने पूछा--"कौन हो तुम ! कहां रहते हो ?'
"मैं हूँ क्रोध ! मस्तिष्क में मेरा घर है।"
"मठ !" युवक ने घृणा के साथ कहा । "वहां तो बुद्धि देवी रहती हैं।" ____ "ठीक कहते हो तुम ! लेकिन जब मैं आता हूँ तो बुद्धि वहां से कूच कर जाती है।"
और तुम कौन हो?" "मैं हूँ लोभ ! आंखों में रहता हूँ।"
"हैं ! आंखों में तो लज्जा रहती है ?" युवक ने कहा।
"लेकिन तुम्हें नहीं मालूम, जब मैं आता हूँ तो उसका कहीं अता-पता भी नहीं चलता।"
"और महाशय, आप कौन हैं ?'-युवक ने तीसरी दुबकी हुई आकृति की ओर देखा।
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