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________________ १२३ तीन देवियाँ क्रोध से मढ़ता का जन्म होता है, मूढ़ता से स्मृति विभ्रम और फिर बुद्धि नाश ! लोभ से निर्लज्जता आती है, निर्लज्जता व्यक्ति को चोरी, दुराचार और करता की ओर बढ़ाती है। "लोभाविले आयइ अदत्त २.- लोभी चोर होता है, चोर को लज्जा कैसी ? भय के समान शक्ति और साहस का अन्य दुश्मन कौन है ? उपमा, अर्थगौरव और शब्द-चातुरी के धनी महाकवि माघ के शब्दों में किमिव हि शक्तिहरं स साध्वसानाम । भय के समान और क्या है शक्ति नाशक ? तीनों के समन्वित परिणाम की झांकी दिखाने वाली एक प्राचीन लोक कथा है । एक युवक मार्ग में अकेला जा रहा था। उसे तीन दिव्य देवियाँ मिलीं । युवक ने उनसे पूछा- "तुम कौन हो ?" पहली ने कहा- "मेरा नाम बुद्धि है।" "कहाँ रहती हो तुम ?" 'मस्तिष्क-लोक में'-बुद्धि ने उत्तर दिया । "तुम कौन हो, सुन्दरी !"--युवक ने दूसरी देवी को ओर मुड़कर पूछा। २. उत्तराध्ययन ३२।२६ ३. शिशुपालवध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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