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गाली कहाँ जायेगी ?
नीची भूमि पर खड़ा मनुष्य यदि आकाश में धूल उछाले, तो वह धूल गिर कर उसी के ऊपर आयेगी। इसी प्रकार किसी को कहे हुए दुर्वचन, गाली और अपशब्द वापस लौटकर बोलने वाले के पास ही आते हैं। अथर्व वेद में एक सूक्त है-शप्तारमेतुः शपथ !' शाप-. (आक्रोश-गाली) शाप देने वाले के पास ही लौटकर आ जाता है।
बौद्ध ग्रन्थों में तथागत बुद्ध के जीवन का एक स्वर्णप्रसंग उट्ट कित है। एक बार भारद्वाज नाम का कोई ब्राह्मण बुद्ध के पास भिक्ष बन गया। भारद्वाज को दीक्षा देने से उसका एक सम्बन्धी उत्तेजित हो उठा । वह आक्रोश में बड़बड़ाता तथागत के पास पहुंचा और बुरेबुरे शब्दों में तथागत की हीलना करने लगा। शांत मौन भाव से बुद्ध सुनते रहे ।
१ अथर्वेद २१७१५
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