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अमृत की लड़ी
अथर्ववेद में एक सूक्त है"आरभस्वेमामृतस्य श्नुष्टिम्''
यह समय अमृत की लड़ी है, इसे अच्छी तरह दृढ़ता के साथ पकड़ के रखो।
मनुष्य समय का इंतजार करता है, पर समय कभी भी मनुष्य का इंतजार नहीं करता। वह तूफान की तरह आता है, बिल्कुल अचानक, और आंधी की तरह चला जाता है, जीर्ण-शीर्ण अवशेष छोड़ कर ।
समय को पहचान पाना एक कला है, भगवान महावीर ने कहा है-खणं जाणाहि पंडिए-विद्वान समय का मूल्य समझे, समय का उपयोग करे । समय के पर होते हैं, वह उड़ता है, बीत जाने के बाद कभी
१ अथर्व० ८।२।१ २ आचारांग
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