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गरज कर बरसना
ज्ञानी का हृदय क्षीर-सागर के समान शांत एवं मधुरता से परिपूर्ण होता है । क्षीर सागर स्वयं मधुर तथा शांत रहता है और उसमें अंगारे डालने वाले को भी वह अपनी शीतल लहरों से शांति प्रदान करता है ।
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सत्पुरुषों की यही विशेषता है । भगवान महावीर ने कहा है- सत्पुरुष - 'पुढवी समो मुणि हवेज्जा - सत्पुरुष ज्ञानी पृथ्वी के समान होते हैं । वे पीटे जाने पर भी - हओ न संजले भिक्खु र क्रोध नहीं करते । महर्षि तिरुवल्लुवर ने कहा है
अहल्लवारेत् ताङ गुम् निलम् पोलत् तम्मै,
इहल् वारय् पारुत तल तलै ।
- यह धरित्री उसे भी आश्रय देती है, जो उसका हृदय विदीर्ण कर गड्ढा खोदता है । इसी तरह कटुवचन कहने
१ दशवे ० १०, १३ २ उत्त० २१ २६
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